tulsi ke fayde

ज़्यादातर हिंदू परिवारों में तुलसी की पूजा की जाती है. इसे सुख और कल्याण के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है. लेकिन धार्मिक महत्व के अलावा तुलसी को एक औषधि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है. इसका इस्तेमाल कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है. सर्दी-खांसी से लेकर कई बड़ी बीमारियों में भी एक कारगर औषधि है तुलसी.
आयुर्वेद में तुलसी तथा उसके विभिन्न औषधीय गुणों का एक विशेष स्थान है. तुलसी को संजीवनी बूटी के समान भी माना जाता है. आयुर्वेदिक चिकित्सा में तुलसी के पौधे के हर भाग को स्वास्थ्य के लिहाज से फायदेमंद बताया गया है. तुलसी की जड़, उसकी शाखाएं, पत्ती और बीज सभी का अपना-अपना अलग महत्व है. आमतौर पर घरों में दो तरह की तुलसी देखने को मिलती है, एक जिसकी पत्त‍ियों का रंग थोड़ा गहरा होता है और दूसरा, जिसकी पत्तियों का रंग हल्का होता है. तुलसी शरीर का शोधन करने के साथ-साथ वातावरण का भी शोधन करती है तथा पर्यावरण संतुलित करने में भी मदद करती है.
आइये आज आपको बताते हैं तुलसी के कुछ घरेलू नुस्खों से होने वाले फायदे के बारे में, जिन्हें अपनाकर आपको कई पुराने रोगों से निजात मिल सकती है.

1. टीबी के रोग को दूर भगाने में बेहद कारगर है तुलसी


तुलसी, दमा और टीबी रोग में बहुत लाभकारी है. रोज़ाना तुलसी खाने से दमा और टीबी नहीं होता. तुलसी के औषधीय गुण के कारण यह बीमारी के लिए ज़िम्मेदार जीवाणु को बढ़ने से रोकती है. शहद, अदरक और तुलसी को मिलाकर बनाया गया काढ़ा पीने से दमा, कफ और सर्दी में राहत मिलती है.

2. मलेरिया को रखे दूर










तुलसी की 11 पत्तियों का 4 खड़ी काली मिर्च के साथ सेवन करने से, मलेरिया और टाइफाइड को ठीक किया जा सकता है. मच्छरों के काटने से होने वाली ज़्यादातर बीमारियों का इलाज तुलसी के सेवन के द्वारा किया जा सकता है.

3. बुखार में 'पैरासिटामॉल’ की जगह खायें तुलसी









सभी प्रकार के बुखार को जड़ से खत्म करने के लिए तुलसी कारगर साबित होती है. 20 तुलसी दल और 10 काली मिर्च मिलाकर बनाए गए काढ़े को पीने से पुराने से पुराना बुखार छू-मंतर हो जाता है. तुलसी की मदद से किसी भी तरह के बुखार को बगैर पैरासिटामॉल और एंटीबायोटिक के उपयोग के भी ठीक किया जा सकता है.

4. कुष्ठ रोग में लाभकारी होती है तुलसी की जड़










तुलसी की जड़ को पीसकर, सोंठ मिलाकर जल के साथ रोज़ सुबह-सुबह पीने से कुष्ठ रोग में लाभ मिलता है. कुष्ठ रोग में तुलसी के पत्तों का रस निकालकर पीने से लाभ फायदा मिलता है. आयुर्वेदाचार्यों के मुताबिक़, तुलसी के बगीचे के आस-पास रहने वाले लोगों को ‘कुष्ठ’ रोग होने की संभावना न के बराबर होती है.

5. माइग्रेन और साइनस में मिलती है राहत









तुलसी का काढ़ा पीने से माइग्रेन और साइनस में आराम मिलता है. अगर आप पुराने सिर दर्द से परेशान हैं, तो रोज़ सुबह और शाम को एक चौथाई चम्मच तुलसी के पत्तों का रस, एक चम्मच शुद्ध शहद के साथ लेने से 15 दिनों में आपका दर्द पूरी तरह से ठीक हो सकता है.

6. आंखों के रोगों के लिए रामबाण औषधि है तुलसी









श्यामा तुलसी के पत्तों का दो-दो बूंद रस 14 दिनों तक आंखों में डालने से रतौंधी ठीक हो जाती है. आंखों का पीलापन ठीक होता है. आंखों की लाली दूर करता है. तुलसी के पत्तों का रस काजल की तरह आंख में लगाने से आंख की रौशनी बढ़ती है.

7. सभी वात रोगों को दूर करने में है सहायक


गठिया के दर्द में तुलसी की जड़, पत्ती, डंठल, फल और बीज को मिलाकर उसका चूर्ण बनाएं. इसमें पुराना गुड़ मिलाकर 12-12 ग्राम की गोलियां बना लें. सुबह-शाम गाय या बकरी के दूध के साथ सेवन करने से गठिया व जोड़ों के दर्द में लाभ होता है.

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