khoon ki kami se hone wali bimari
Khoon ki kami se hone wali bimari :
दरअसल एनीमिया ऐसी स्थिति है जिसमें रक्त में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है. हीमोग्लोबिन का स्तर पुरुष और महिलाओं में अलग-अलग होता है. महिलाओं और पुरुषों में हीमोग्लोबिन का आदर्श स्तर 12 ग्राम प्रति डेसीलीटर (डीएल या 0.1 लीटर) से 18 ग्राम प्रति डीएल होता है. लेकिन यदि पुरुषों में हीमोग्लोबिन की मात्रा 12 ग्राम प्रति डेसीलीटर हो तो एनीमिया होने की आशंका ज़्यादा होती है जबकि औरतों में इतना ही हीमोग्लोबिन सामान्य होता है. ख़ून में हीमोग्लोबिन की सही मात्रा बहुत ज़रूरी होती है और हीमोग्लोबिन में रेड-ब्लड सेल्स का निर्माण और कार्यशैली भी प्रभावित होने से एनीमिया की स्थिति पैदा हो जाती है..!!
एनीमिया की स्थिति
1. व्यक्ति के शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर 10-12 ग्राम प्रति डीएल हो तो ऐसी स्थिति माइल्ड एनीमिया कहलाती है !
2. यदि हीमोग्लोबिन की मात्रा 6 से 10 ग्राम प्रति डीएल हो तो व्यक्ति को मॉडरेट एनीमिया होता है !
3. और यदि हीमोग्लोबिन की मात्रा 6 ग्राम प्रति डीएल से कम हुई, तो सीवीयर यानी ख़तरनाक एनीमिया की स्थिति पैदा होती है जो अकस्मात् मृत्यु का गंभीरतम कारक होता है !
एनीमिया का वर्गीकरण
1. यदि शरीर में रेड-ब्लड सेल्स की संख्या 80 प्रति फेम्टोलीटर (एफएल या 0.00001 लीटर) से कम हो, तो वह माइक्रोसीटिक एनीमिया यानी निम्न कोशिका मात्रा कहलाता है!
2. यदि संख्या 80 से 100 प्रति एफएल के बीच हो, तो यह स्थिति सामान्य कोशिका मात्रा एनीमिया कहलाता है!
3. अगर इससे भी ज्यादा हो तो यह स्थिति मैक्रोसीटीक एनीमिया यानी अति-वृहत एनीमिया कहलाती है. शरीर में इसी कमी को जांच कर डॉक्टर बताते हैं कि एनीमिया किस स्तर पर है और इसके होने की वजह क्या है?
अचानक तीव्र रक्तस्राव से शरीर में ख़ून की कमी एनीमिया का रोगी बना देती है, आंतरिक रक्तस्राव जैसे स्रावी नासूर या बाहरी स्राव जैसे चोट या सदमे से भी एनीमिया हो सकता है, इस तरह अचानक हुए रक्त की कमी के काफी नुक़सानदेह परिणाम हो सकते हैं , इसका सही व़क्त पर इलाज नहीं कराने से यह जानलेवा भी हो सकता है, वैसे ख़ून की कमी के अलावा भी कई दूसरे कारण भी हैं जिनसे एनीमिया होने का ख़तरा बढ़ जाता है!
अचानक तीव्र रक्तस्राव से शरीर में ख़ून की कमी एनीमिया का रोगी बना देती है, आंतरिक रक्तस्राव जैसे स्रावी नासूर या बाहरी स्राव जैसे चोट या सदमे से भी एनीमिया हो सकता है, इस तरह अचानक हुए रक्त की कमी के काफी नुक़सानदेह परिणाम हो सकते हैं , इसका सही व़क्त पर इलाज नहीं कराने से यह जानलेवा भी हो सकता है, वैसे ख़ून की कमी के अलावा भी कई दूसरे कारण भी हैं जिनसे एनीमिया होने का ख़तरा बढ़ जाता है!
4. शरीर में विटामीन बी-12 की कमी से परनीसीयस एनीमिया होने की आशंका प्रबल होती है, इस तरह का एनीमिया उन लोगों में सामान्य तौर पर देखा जाता है जो विटामिन बी-12 पचाने में असमर्थ होते हैं, यह परेशानी ज़्यादातर शुद्ध शाकाहारी व्यक्तियों को और लंबे व़क्त से शराब का सेवन करने वालों को होती है, भारी मात्रा में शराब का सेवन अस्थिमज्जा (बोन मैरो) के लिए हानिकारक होता है, शराब अस्थिमज्जा को ज़हरीला बनाकर रेड-ब्लड सेल्स के निर्माण में बाधा उत्पन्न करती है, जिससे एनीमिया का ख़तरा बढ़ जाता है. ऐसे लोगों को ज़्यादातर माइक्रोटिक एनीमिया होता है, हरी सब्ज़ियों की कमी, फलों की कमी से विटामिन बी-12 की मात्रा शरीर में कम हो जाती है, जिससे हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है!
5. शराब की वजह से शरीर में थायमीन की कमी हो जाती है ,इससे “वरनीक एनकैफिलोपैथी सिंड्रोम” हो जाता है और इससे व्यक्ति को दौरे पड़ने लगते हैं, ऐसा एनीमिया भारी मात्रा में शराब के सेवन की वजह से हो जाता है!
6. माहवारी के दिनों में अत्यधिक स्राव, किसी चोट या घाव से स्राव, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल अल्सर, कोलन कैंसर इत्यादि में धीरे-धीरे ख़ून लगातार रिसने से एनीमिया हो सकता है!
7. रेड ब्लड सेल्स का निर्माण करने के लिए अस्थिमज्जा को आयरन की ज़रूरत पड़ती है. यह पौष्टिक आहार के ज़रिए शरीर को मिल पाता है. आयरन की कमी से शरीर में एनीमिया हो जाता है!
8. किसी भी प्रकार की दीर्घकालिक बीमारी से एनीमिया हो सकता है, यहां तक कि किसी प्रकार का इंफेक्शन का यदि लंबे तक ठीक उपचार न कराया जाए तो उससे भी एनीमिया होने की आशंकाएं प्रबल होती हैं, इसके अलावा ब्लड कैंसर जैसे ल्यूकेमिया या लींफोमा रेड-ब्लड सेल्स के निर्माण में बाधा उत्पन्न करती है जिससे भी एनीमिया होने की आशंकाएं बढ़ जाती हैं!
9. किडनी से इरायथ्रोपोयॅटीन नाम का हारमोन निकलता है जो अस्थिमज्जा को रेड-ब्लड सेल के निर्माण में मदद करता है, जिन लोगों को किडनी का कैंसर होता है उनमें इस हारमोन का निर्माण नहीं होता है और इसकी वजह से रेड-ब्लड सेल्स का बनना भी कम हो जाता है जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति को एनीमिया हो जाता है!
10. कुपोषण महिलाओं में आम समस्या है ऐसे में गर्भधारण करने पर भी इस कुपोषण की समस्या का निवारण न हो, तो एनीमिया की परेशानी हो सकती है, गर्भवती महिला में गर्भ सबसे पहले अपने आप को सुरक्षित करता है ऐसे में वह नाभि के ज़रिए होने वाले ख़ून के संचार से पोषित होता है, ऐसे में महिला के शरीर में ख़ून की कमी हो जाती है और शरीर में पानी की मात्रा बढ़ जाती है जो ख़ून में घुल कर महिला के रक्त-संचार को प्रभावित करता है!
11. रेड-ब्लड सेल्स के निर्माण के लिए कई प्रकार के विटामिन व मिनरल्स की ज़रूरत होती है, इनकी कमी से रेड- ब्लड सेल्स का निर्माण ज़रूरत के हिसाब से नहीं हो पाता है फिर हीमोग्लोबिन बनने में परेशानियां आती हैं ऐसे में व्यक्ति एनीमिया का शिकार बन सकता है!
12. हीमोग्लोबिन के जीन में बदलाव से यह परेशानी होती है , असामान्य हीमोग्लोबिन के कारण रेड ब्लड सेल्स सीकल यानी हंसिये के आकार के हो जाते हैं, सीकल सेल एनीमिया के कई प्रकार होते हैं जिनका असर अलग-अलग स्तर पर अलग-अलग तरीक़े से होता है!
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